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ग्रामोत्सव
लेखक:- रामप्रकाश पैन्यूली, सदस्य पलायन आयोग, उत्तराखंड सरकार
ग्रामोत्सव अर्थात गांव के समृद्ध अतीत का स्मरण , पुरुषार्थी पूर्वजों की कर्मठता को नमन करने का उत्सव , गांव के प्रति अपने स्वाभाविक दायित्व के स्मरण का पवित्र प्रसंग , सहयोग, स्वावलंबन , स्वरोजगार और स्वाभिमान को जगाने की सांघिक साधना का हृदय स्पर्शी अनुभव ।
आइए ! कार्यक्रमों की इस श्रृंखला के माध्यम से हम पवित्र देवभूमि को जगाने के अनुष्ठान में स्वयं को समिधा स्वरूप समर्पित करें ।
इस पावन प्रसंग पर हम समाज की सोई चेतना को जगाएं और गावों की खोई अस्मिता को पुनः स्थापित करने के प्रयास एवम रिवर्स पलायन की पटकथा लिखने में स्वयं की भूमिका का निर्धारण करें ।
बंधु / बहिनों , हम लोग उत्तराखंड के ग्राम विकास में अपनी भूमिका बढ़ाएं । पूरे देश के लोग हमारे साथ खड़े रहते हैं, यात्रा में उनकी श्रद्धा देखी जा सकती है , किसी आपदा के समय भी हम उनका समर्पण देख सकते हैं , तन के कपड़े तक वे हमारी सहायता के लिए समर्पित कर देते हैं ।
किंतु हम अपने योगदान का स्मरण करें । हमने घर छोड़ दिया , ताला लगा दिया यहां कुछ नही हो सकता ऐसा कह कर गांव त्याग दिए , छुट्टियों में भी हम अपने गांव नही आते क्योंकि पहाड़ी रास्ते पर हमे उल्टियां आती हैं, डर लगता है क्योंकि पर्वतीय मार्ग हैं इस लिए भले ही हमने उत्तराखंड के चार धाम न देखे हों किंतु हम दूसरे प्रदेशों में घूमने जाने में गर्व महसूस करते हैं । आपदा के समय हमारे सक्षम लोगों द्वारा किये जाने वाले सहयोग को भी हम याद करें, कही खुद राहत की लाइन में तो खड़े नही हो जाते ?
गंभीर चिंतन का विषय है । महानगरों में हमारे द्वारा मांगलिक प्रसंगों पर किए जा रहे वैभव के प्रदर्शन से आश्चर्य होता है , किंतु अपने गांव के विकास की बात आती है तो सरलता से हम गेंद सरकार की ओर खिसका देते हैं ।
हीं उन्होंने प्रवासियों से निवेदन करते हुए कहा कि प्रवासी अपने गांव आएं, अपने आने की बारंबारता बढ़ाएं । गांव के पानी , जंगल , विद्यालय , मंदिर , रास्ते , गरीब बच्चों की पढ़ाई , विवाह आदि में सहयोग , स्वच्छता , सरकारी योजनाओं को लागू करवाने आदि विषयों पर अपना गिलहरी प्रयास शामिल करें ।
केवल सरकारों को कोस कर, अपने घर पर ताला लगा कर , देखा देखी के पलायन को बढ़ावा दे कर देवभूमि का कल्याण नही होगा । आइए हम अपनी भूमिका को ग्रामविकास में विस्तारित करें । जो अवकाश प्राप्त हैं और स्वस्थ हैं उन्हें अधिक से अधिक अपने गांव में ही रहना चाहिए इससे गांव जीवंत हो उठेंगे ।
ग्रामोत्सव में ग्रामविकास गोष्ठी
ग्रामोत्सव से पूर्व गांव का एक व्हाटसेप ग्रुप बने , जो गांव की संपूर्ण सूचनाओं का माध्यम हो , सभी प्रवासी /ग्रामवासी उससे जुड़े हों ।
दो - तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन गांव के मुख्य मंदिर में आयोजित हो ।
सहभोज / भंडारे से पूर्व गांव की आम सभा हो , इसी को ग्रामविकास गोष्ठी कहा गया है ।
समस्त ग्रामवासी पहले सर्वसम्मति से आगामी एक वर्ष के लिए एक ग्राम विकास समिति का गठन करें।
अपने गांव की समस्याओं को सूचीबद्ध करें ।
उनकी निराकरण के लिए अपने मध्य उपस्थित सक्षम दो दो लोगों को निराकरण हेतु चयनित करें ।
सरकारी योजनाओं का गांव को लाभ कैसे मिले इसके लिए भी योजना बने और समाधान हेतु नाम तय हों ।
यह ध्यान रहे कि यह सामाजिक सहयोग पर आधारित ग्राम विकास की बैठक है किसी वर्तमान अथवा निवर्तमान प्रधान / जनप्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा बैठक नहीं है , अन्यथा विवाद जन्म लेगा , कार्यक्रम भटक जाएगा ।
गांव सजग होगा तो सभी अच्छा ही करेंगे ।
यह बैठक भी गांव के मंदिर में हो जहां कार्यक्रम चल रहा है ।
एक वार्षिक लक्ष्य तय हो।
गांव के सक्षम लोग अपने गांव के पानी, मंदिर, जंगल , निर्धन, विद्यालय , स्वच्छता , स्वरोजगार , सुरक्षा आदि आयामों पर क्या सहयोग कर सकते हैं इसकी चर्चा हो और क्रमश: उस दिशा में काम हो।
ग्रामविकास गोष्ठी में सरकारी अधिकारियों एवम कर्मचारियों को भी आमंत्रित किया जाय , उनका भी सहयोग लिया जाय ।
सम्पूर्ण कार्यवाही लिखित में हो,
ग्राम विकास समिति में न्यूनतम 11 लोग शामिल हों । यह मात्र एक वर्ष के लिए प्रभावी होगी । अगले वर्ष या तो उसका विस्तार होगा या नवीन समिति का गठन होगा ।
ग्राम विकास गोष्ठी में ग्रामोत्सव की सर्वमान्य तिथि का निर्धारण हो जिसमें सभी प्रवासी / ग्रामवासी उपस्थित रहें । इसके लिए जून मास की कोई तिथि सबसे उत्तम हो सकती है ।
ग्रामोत्सव का फलितार्थ रिवर्स पलायन के लिए अनुकूल वातावरण का सृजन भी है ।
जो स्वस्थ हैं, सक्षम हैं वे गांव में रुकने , आने जाने की समयावधि बढ़ाएं।
गांव में बढ़ रही संदेहास्पद विधर्मी गतिविधियों को रोकने की भी उचित योजना बने ।
सारा कार्यक्रम पर्यावरण के अनुकूल हो । एक समय प्रयोग होने वाले प्लास्टिक से मुक्त हो ।
ग्राम गौरव सम्मान से कुछ लोगों का सम्मान किया जाय । हमारा उद्देश्य सक्षम, स्वावलंबी, संस्कार युक्त गांव का निर्माण करना जिसकी मुख्य भूमिका में सम्पूर्ण ग्रामवासी होंगे ।
ग्रामोत्सव का ध्येय वाक्य -
मेरा गांव मेरा तीर्थ
इसे अपनी प्रचार सामग्री में अवश्य अंकित करें ।
जो व्यवहार हमसे किसी तीर्थ स्थल पर अपेक्षित होता है उसी भाव भावना के अनुसार हमारा व्यवहार एवम श्रद्धा अपने मूल गांव के प्रति रहे ।
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