Share: Share KhabarUttarakhandKi news on facebook.Facebook | Share KhabarUttarakhandKi news on twitter.Twitter | Share KhabarUttarakhandKi news on whatsapp.Whatsapp | Share KhabarUttarakhandKi news on linkedin..Linkedin

मुख्यमंत्री धामी की घोषणा की राह मे मीडिया मालिक बने रोड़ा, लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ और हकीकत- गजेंद्र रावत

16-11-2025 12:20 PM

साभार:- वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत की वाल से 

 मीडिया घरानो के प्रति उदार भाव रखने के लिये जाने जाने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले घोषणा की कि वह ब्लॉक और तहसील स्तर पर पत्रकारों को मान्यता दिलाएंगे और उनकी हर छोटी बड़ी समस्या का सरकार समाधान करेगी. धामी ने यह घोषणा इसलिए की क्योंकि समय-समय पर पत्रकारों के बीमार होने इलाज के अभाव मे उनकी मौत होने के बाद उनके परिवार की बदहाली उनके बच्चों के लालन पालन के ऐसे परिदृश्य सामने आए जिसने मीडिया में काम करने वाले बड़े-बड़े चेहरों को बेनक़ाब कर दिया. पत्रकार की मौत के बाद कई परिवार सडक पर आ गये.

पुष्कर धामी का यह कदम इसलिए ठोस माना गया क्योंकि जो करोड़ों के विज्ञापन सरकारों से मीडिया मालिकों तक जाते है उसमें बेचारे पत्रकार मामूली वेतन के लिए भी गिड़गिड़ाते रहते हैं.सरकार ने इस बारे में जब पहल की ब्लॉक और तहसील स्तर पर पत्रकारों के हित में कुछ ठोस करना चाहा तो आश्चर्यजनक रूप से ऐसे तथ्य निकल कर आए जिसने इन मीडिया मालिकों की पोल खोल कर रख दी. जिन पत्रकारों के नाम से अखबारों में बड़ी-बड़ी बाइ लाइन खबरें छप रही है अखबार मालिक कह रहे हैं कि उन पत्रकारों से अखबार का कोई वास्ता नहीं.बाइ लाइन खबरें वाले पत्रकार भी बिहार बंगाल गाजियाबाद कानपुर मेरठ अलीगढ के ठेकेदार की लेबर मात्र है इसी कारण किसी पत्रकार के पास संबंधित अखबार का कोई परिचय पत्र तक नहीं है.

 विभिन्न एजेंसी द्वारा ठेकेदार की लेबर के रूप में रखे गए ऐसे पत्रकारों का पुष्कर धामी चाह कर भी भला नहीं कर पा रही मुख्यमंत्री की इस महत्वपूर्ण घोषणा के धरातल पर न उतारने का यही कारण है कि मीडिया मालिक ने 90% से अधिक पत्रकारों को ठेके पर रखा हुआ है.

 यह घटनाक्रम बताता है कि फेसबुक से लेकर सोशल मीडिया में चमक धमक दिखाने वाले कई लोग बदहाली का जीवन जी रहे हैं मीडिया मलिक उनका शोषण कर रहे हैं. जो लोग खुद शोषण का शिकार हैं उनसे जनपक्षीय पत्रकारिता की उम्मीद करना बहुत बड़ी बेईमानी है.

 देश दुनिया के बारे में खबरें लिखने वाले गरीबों से लेकर मजदूर और दुनिया की हर समस्या पर बड़ी-बड़ी खबर लिखने वाले पत्रकारों की इतनी हैसियत नहीं दी गई कि वह अपने लिए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को लागू करवा सके. मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश यदि लागू हो जाती तो निश्चित रूप से 15 सौ रुपए से लेकर ₹15000 तक की नौकरी करने वाले पत्रकारों को एक सम्मानजनक वेतन मिलता लेकिन गुटों और कबीलों जातियों घाटियों में बंटे पत्रकारों की इतनी हैसियत नहीं रह गई कि वह अपने लिए लड़ सकें. सरकारों के लिए ढाल बनने वाले अधिकांश पत्रकार भी इस प्रकार का खोखला जीवन जीने को मजबूर हैं जैसे अधिकांश की हालत है. सरकार की आलोचना करना अब देशद्रोह जैसा हो गया है सोशल मीडिया पर भी अगर थोड़ा बहुत लिख दिया तो झूठे मुकदमे और फर्जी चार्जसीट की लाइन लग जाती है. तमाम झूठे मुकदमों से कोर्ट भरी हुई है.

 आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर सुबह-सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ_साथ देश दुनिया के तमाम लोगों ने शुभकामनाओं के साथ शुरुआत की. गोदी मीडिया के इस खतरनाक दौर मे सत्ताओं की चरणबंदना से लेकर हीरोइन हेमामालिनी के हीरो पति धर्मेन्द्र को जीते जी मीडिया श्रद्धांजलि दे रहा है, भारतीय सेना को कराची से लेकर इस्लामाबाद तक घुसा रहा है, सरकार से,ताकतवर से,जिम्मेदार से सवाल पूछने की बजाय सवाल पूछने वालों को देशद्रोही कह रहा है ऐसे समय मे राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मायने समझें जा सकते हैँ.इन हालात मे राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामना देने की बजाय इस पर ईमानदारी से मंथन करने की जरूरत है


ताजा खबरें (Latest News)

ब्रेकिंग टिहरी गढ़वाल:- टीएचडीसी के सीएमडी आर के विश्नोई का निधन।
ब्रेकिंग टिहरी गढ़वाल:- टीएचडीसी के सीएमडी आर के विश्नोई का निधन। 16-11-2025 11:56 AM

टिहरी :- टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के सीएमडी आरके विश्नोई का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया। जिससे टीएचडीसी परिवार सहित ऊर्जा क्षेत्र के संस्थानों में शोक गहरा शोक व्यक्त किया राजनीति क्षेत्र क...