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हर्षिल का सौंदर्य और अटल जी की सोच – उत्तरांचल

16-08-2025 10:11 PM

वरिष्ठ पत्रकार ओंकार बहुगुणा की वाल से 

क्या आप जानते हैं कि जिस प्रदेश उत्तराखंड में हम रहते हैं, जिसके लिए राज्य आंदोलनकारियों ने बलिदान देकर राज्य का दर्जा प्राप्त किया, उसकी परिकल्पना के पीछे भी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का योगदान रहा है।

उत्तरांचल आंदोलन और अटल जी की भूमिका

चकबंदी प्रणेता स्व. राजेन्द्र सिंह रावत और केदार सिंह रावत ने वर्ष 1987 में यमुनोत्री धाम में साढ़े पाँच महीने तक आंदोलन कर राज्य की मांग का बिगुल फूंका।

इसी मांग के समर्थन में 1988 में भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन, जम्मू-कश्मीर में स्व. राजेन्द्र सिंह रावत जी की मांग पर अटल जी ने सहमति जताई और “उत्तर के अंचल – उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति” का गठन हुआ।

हालाँकि 1987 में जब भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन अल्मोड़ा में हुआ था और उसकी अध्यक्षता लालकृष्ण आडवाणी जी कर रहे थे, तब यह मांग पेन डाउन कर दी गई थी। कारण यह था कि उस समय अलग राज्य की मांग को कम्युनिस्टों की सोच माना जाता था।

1984 की बड़कोट यात्रा

वर्ष 1984 का वाकया आज भी यादगार है, जब अटल जी अपनी संक्षिप्त यात्रा पर बड़कोट आए थे। उनके साथ कलराज मिश्र भी थे।

बड़कोट में ऐतिहासिक 5,000 लोगों की जनसभा में अटल जी का सिक्कों से तोलकर सम्मान किया गया। इसके बाद उन्होंने उत्तरकाशी, गंगोत्री और हर्षिल की यात्रा की और यहाँ के लोगों की जीवटता और संघर्षपूर्ण जीवन को नज़दीक से देखा।

अलग राज्य की मांग पर दृष्टिकोण

जब जम्मू-कश्मीर अधिवेशन में अलग राज्य की मांग दोबारा उठाई गई, तो अटल जी ने स्पष्ट कहा—

"अगर उत्तरांचल में भाजपा का अस्तित्व तलाशना है तो जीवटता और दुष्वारियों के आधार पर इस मांग का समर्थन करना ज़रूरी होगा।"

यह कथन इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों और यहाँ के लोगों की कठिनाइयों को समझकर इस मांग का समर्थन किया।

हर्षिल का सौंदर्य और अटल जी का अनुभव

उत्तरकाशी यात्रा के दौरान अटल जी की अगुवानी तत्कालीन वरिष्ठ भाजपा नेता सूरत राम नौटियाल ने की। वे उन्हें हर्षिल लेकर गए।

हर्षिल की वादियों में स्थित विल्सन बंगले को देखकर अटल जी अभिभूत हो उठे और एक सेब के पेड़ के नीचे विश्राम किया। उन्होंने सूरत राम नौटियाल जी से कहा—

" सूरतराम तुम लोग वास्तव में स्वर्ग में रहते हो। गंगा और यमुना की गगनजमुनी तहज़ीब इस मायके की पहचान है और यहाँ रहने वाले वास्तव में धन्य हैं।"


अटल जी का काशी प्रेम

हर्षिल की प्राकृतिक सुंदरता और गंगा-यमुना की गाथा ने अटल जी को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उत्तरकाशी को “स्वर्ग” की संज्ञा दी।

उनका यह अनुभव दर्शाता है कि उत्तराखंड केवल पहाड़ों और नदियों का प्रदेश नहीं, बल्कि यहाँ की संस्कृति, गगनजमुनी तहज़ीब और लोगों की संघर्षशीलता राष्ट्र की धरोहर है।

उक्त लेख - तत्कालीन यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत जी और वरिष्ठ भाजपा नेता सूरतराम नौटियाल जी से हुई वार्ता के अनुसार लिखा गया है ।


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