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उत्तरकाशी:- संजय रतूड़ी: देशभर में आज राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) का स्थापना दिवस उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। राजकीय इंटर कालेज नौगांव में इस अवसर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें परेड, सांस्कृत...
लोकेंद्र दत्त जोशी, घनसाली:-
भिलंगना प्रखण्ड के ग्राम सौंला, पट्टी- थाती कठूड निवासी महान शिक्षाविद डॉ. कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल का 79 वर्ष की आयु में उनके निवास स्थान देहरादून में निधन की दुःखद खबर मिलने से,बिनकखाल् और आस पास के क्षेत्र में शोक की लहर छा गयी।
कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल के सिर से पिता का साया तभी उठ गया था जब वे लभग डेढ़ दो साल की उम्र में थे ।। ऐसे में उनकी परवरिश चाचा परमा नंद जी एवं श्री लाखी राम नौटियाल जी के द्वारा हुई। चाचा श्री लाखी राम सेना में रहे ।
उनकी जूनियर तक की शिक्षा अपने स्थानीय विद्यालय बिनकखाल्, तथा इंटर मीडिएट तक की शिक्षा राजकीय प्रताप इंटर मीडिएट कॉलेज टिहरी से हुई। बी. एससी. डिग्री देहरादून से ग्रहण करने के पश्चात् वे गाँव वापस आगए।
पचास से अधिक घनी आवादी वाले बासर एवं थाती कठूड पट्टियों के गाँव में आठवीं के बाद शिक्षा का कोई केंद्र नहीं था तो,उन्होंने शिक्षा के अभाव को दूर करने का बीड़ा उठाया।
डॉ.नौटियाल के सहयोगी रहे सेवानिवृत अध्यापक श्री कलम सिंह तोमर ने बताया कि उनके द्वारा जनता के सहयोग से वर्ष-1968 में आनंद उच्चितर् माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की गयी। जंहा कक्षा छ: से हाई स्कूल के पश्चात् इंटर तक की कक्षाएं हमने साथ साथ संचालित की।
वास्तव में घोर अभाव के उस दौर में पहाड़ों में स्कूल और अखबार चलाना बहुत मुश्किल काम था। लेकिन उन्ही दिनों आज के पहाड़ के गाँधी इंद्रमणि बडोनी जगह जगह स्कूलों की स्थापना कर रहे थे।
तोमरजी आगे कहते हैं, बड़ी कठिनाइयों के बीच क्षेत्र के युवाओं की टीम संगठित हुई।और और जन सहयोग,जिसमें कि श्रमदान चंदा, भूमि दान आदि कई कार्य विद्यालय हित में कराए गए। जिससे सुन्दर भवन , एवं बड़ा खेल मैदान का निर्माण करवा गया। और यहीं इंटर मीडिएट तक की कक्षाएं संचालित होनी लगी।
इस बीच कुछसंयोग ऐसे बने कि,बिनकखाल् स्थित जूनियर स्कूल का उच्चिकरण हुआ !जिससे आनंद स्कूल / कालेज ठांगधार कुछ वर्षों तक ही संचालित हो सका। और जन सहभागिता से संचालित एक शिक्षा का मन्दिर बन्द हो गया। जो धीरे धीरे उपेक्षित और अनुपयोगी हुआ और सुन्दर और मजबूती के निर्माण का यह भवन खंडहर में तब्दील होता गया। बन बनाई सम्पति उजाड़ और खंडर में तब्दील होती गयी। दुःखद!
यद्यपि आनंद कॉलेज बन्द हुआ! किंतु, शिक्षा के क्षेत्र में मबूत इरादों की बुनियाद क्षेत्र के युवाओं और उनके अभिभावकों को दे गया।
आनंद कॉलेज बन्द होने से अन्य की भाँति,गुरुजी कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल भी गरीबी के कारण रोजगार के लिए घर से निकल कर चंडीगढ़ /पंजाब चले गए। (सोचता हूँ, यदि वह संस्थान चलता रहता तो क्षेत्र को रोजगार के रूप में कितने अध्यापक और अन्य क्या क्या दे गया होता!? ) पंजाब जन्हां वे होटल में नौकरी करते और कठिन परिश्रम के बाद भी ब्यक्तिगत छात्र के रूप में शिक्षा ग्रहण करते रहे।
उन्होंने पंजाब विश्व विद्यालय से हिंदी विषय में मास्टर डिग्री के साथ पंजाब विश्व विद्यालय से गोल्ड मेडिल ( स्वर्ण पदक) मिला। और पंजाब चंडीगढ़ में अध्यापन का कार्य करने लगे। उनकी लग्न और मेहनत उन्हे आत्मबल के रूप में प्रेरणा देती रही।
शिक्षण कार्य के साथ उन्होंने शोध कार्य किया और वे कमलेश्वर प्रसाद से डॉ.कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल बन कर क्षेत्र में पहले शोधार्थी बने। और उन्हे डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा गया। जो कि आज भी क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।
लग भग वर्ष 1986 डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल देहरा गोपीपुर, जिला-कांगड़ा, हिमांचल प्रदेश में विद्यालय की स्थापना हुई। जंहा डॉ नौटियाल के द्वारा अध्यापन का कार्य करने के पश्चात् वे प्रधानाचार्य के पद से सेवा निवृत हुए।
उनके निधन पर,डी.ए.वी.देरा गोपीपुर, कांगड़ा,विद्यालय प्रबंधन ने विद्यालय की ओर से अपने शोक संदेश डॉ.नौटियाल का निधन पर गहरा शोक ब्यक्त करते हुए उन्हे महान इंसान, कुशल प्रशासक बताते हुए उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताई। ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गयी।
अब गौर कीजिए हिमांचल भला किसको कब पसंद नहीं रहा ! वे चाहते तो वहीं बस जाते!परंतु सेवानिवृति के पश्चात् डॉ. नौटियाल वापस अपने गाँव सौंला बिनकखाल् आगए। जंहा उनके द्वारा स्थापित उनका आनंद जूनियर हाई स्कूल भवन की इमारत के अवशेष और बड़ा खेल मैदान मानों उनकी बाट जो रहा था।
लगभग इन चालीस वर्षों से अधिक समय में उन्हे क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव तो देखने को मिले!क्षेत्र में, इंटर मीडिएट स्तर तक की शिक्षा के लिए भी कई शिक्षण संस्थान स्थापित हुए दिखाई दिए। किंतु आजादी के पचास वर्षों के अधिक लम्बे अंतराल में भी उच्च शिक्षा का कोई केंद्र आज तक भी न होने का दर्द खास कर बालिकाओं की उच्च शिक्षा का अभाव उन्हे अंदर से कचौट गया। और वे फिर से उच्च शिक्षा केंद्र की स्थापना में जुट गए। पूर्व मे स्थापित विद्यालय के लिए दान स्वरूप ली गयी भूमि का पंजीकरण करवाया। एक नया 8 -- 10 कमरों का भवन बनवाया और उसी ठांगधार में ज्वालामुखी महाविधालय की स्थापना वर्ष 2007 में शुरू कर दी। जिसमें वे स्वयं वहाँ निशुल्क शिक्षण कार्य में जुट गए।
इस कार्य में उनके सहयोगी सेवानिवृत प्रधानाध्यापक् श्री राम प्रसाद भट्ट, उद्योगपति समाज सेवी श्री वीरेंद्र सेमावल पूर्व जिला पंचायत सदस्य शिक्षाविद् श्री सत्य प्रसाद जोशी आदर्श शिक्षक टीका राम भट्ट ,सहित क्षेत्र के लोगों का सहयोग मिला। डॉ नौटियाल वर्ष 2007 से वर्ष 2017 तक अवैतनिक शिक्षक/ प्राचार्य एवं हर तरह के सहयोगी,संस्थापक के रूप में तथा अध्ययनरत छात्र छात्राओं के लिए अभिभावक के रूप में भी महाविद्यालय के कार्य करते रहे। और उनके कार्यों को बतौर अध्यक्ष के रूप मे श्री राम प्रसाद भट्ट आगे बढ़ाते हुए, राजकीयकरण होने के प्रयासरत हैं।
उनके सहयोगी सेवानिवृत प्रधानाध्यापक श्री राम प्रसाद भट्ट ने उनके निधन पर दुःख प्रकट करते हुए बताया कि डॉ.नौटियाल के सहयोग से संचालित महाविद्यालय से क्षेत्र के 100 से अधिक खास कर बालिकाओं ने स्नातक स्तर की डिग्रियाँ उनके त्याग सानिध्य और आशीर्वाद स्वरूप हासिल की। वर्ष -2017 के बाद प्राइवेट शिक्षा सरकार के द्वारा बन्द करवाया जाने से एक बार फिर महा विधालय भी बंद हुआ। और वहाँ निर्मित भवन बड़े खेल मैदान के साथ फिर खाली पड़ा हुआ है! किंतु महाविद्यालय का राजकीय करण की पत्रावली ,उच्च शिक्षा निदेशालय में स्वीकृति हेतु प्रतिक्षा में पड़ी हुई हैl
उम्र के साथ साथ कमजोर स्वास्थ्य के कारण वे देहरादून रहने लगे।जंहा दिनांक- 19 अगस्त की मध्य रात्रि को उनका देहांत हो गया। डॉ.नौटियाल अपने पीक्षे पत्नी, एक बेटा एवं तीन बेटियों का भरा पूरा परिवार छोड़ कर स्वर्ग सिधार गए। उनके पुत्र राघवेंद्र नौटियाल जो कि, जापान में कुशल ब्यवसायी के रूप में स्थापित हैं। और बेटे की प्रतिक्षा के कारण डॉ.नौटियाल का पार्थिव शरीर अभी सुरक्षित रखा गया है। बेटा राघवेंद्र के पहुँचने पर खबर है कि कल-21 अगस्त को उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया जाएगा।
डॉ कमलेश्वर् प्रसाद नौटियाल महान शिक्षाविद्, समाजवादी विचारक,के साथ ज्ञान एवं सादगी व उच्च आदर्शों की प्रतिमूर्ति रहे है।उनके निधन पर क्षेत्र के शिक्षाविद् समाज सेवी आदरणीय सत्य प्रसाद जोशी, कलम सिंह तोमर उनके फूफेरे भाई बाल गोविंद भट्ट, टीका राम भट्ट , गुरुजी चंडी प्रसाद भट्ट पूर्व विधायक बलवीर सिंह नेगी,राज्य सरकार के दर्जा धारी मंत्री अब्बल सिंह बिष्ट,डॉ आर. पी.जोशी, डॉ. प्रेम लाल आर्य, डॉ.ओम प्रकाश नौटियाल, बचल सिंह रावत, नागेंद्र जोशी, ज्ञान सिंह कोटवाल कै.धर्मानंद नौटियाल,त्रेपन सिंह पंवार, इंद्र सिंह बिष्ट, के.महिमा नंद भट्ट,देवी प्रसाद भट्ट, राजेंद्र प्रसादभट्ट ,इ.वीरेंद्र जोशी ,कैलाश चंद्र भट्ट, ओम प्रकाश जोशी, मोहन लाल जोशी,लालमणि भट्ट, जीतमणि भट्ट,अमनदीप भट्ट,शक्ति प्रसाद डिमरी, जिला पंचायत सदस्य धनपाल सिंह नेगी, गिरीश नौटियाल, विष्णु प्रसाद सेमवाल, रमेश जिरावां,राजू लेखवार, भगवान सिंह,राणा, विधायक शक्ति लाल शाह, राजेंद्र सेमावल, धीरेंद्र सेमावल, हिम्मत सिंह,भूपेंद्र नेगी, उत्तम लाल, प्रदीप जोशी , उत्तम चंद पूर्व प्रमुख,धनी लाल शाह, पूर्व विधायकभीम लाल आर्य , प्रधान हुकम सिंह रावत अमन दीप भट्ट. प्रदानाचार्य देवी प्रसाद सेमावल, सुरेंद्र सेमावल,राम मोहन नौटियाल, राम मोहन बहुगुणा,धीरेंद्र नौटियाल गोपेश्वर जोशी , गौर चंद सिंह नेगी, सुरेश भाई, देवी प्रसाद नौटियाल, डॉ प्यार सिंह राणा,देवेश्वर् जोशी, लोकेन्द्र शाह, प्रधान कुलदीप सिंह, कमल दास निराला, अब्बल दास,धनपाल सिंह, डॉ गोविंद रावत,एडवोकेट लोकेन्द्र जोशी आदि सहित क्षेत्र के सभी सामाजिक राजनैतिक संगठनो, ब्यपारिक संगठनो, विभिन्न मंदीर समितियों से जुड़े पदाधिकारियों ,बार एसोसिएशन, क्षेत्र में स्थित सभी शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों कर्मचारियों सभी प्रधान गण क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने पत्रकार संगठनों ने डॉ.कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल का निधन- क्षेत्र के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए पर गहरा शोक ब्यक्त किया। और ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की।
ईश्वर डॉ. कमलेश्वर प्रसाद नौटियाल जी की पुण्य आत्मा को देव लोक में चिर शांति प्रदान करते हुए शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।मैं अपनी और अपने परिवार की ओर से समाज सेवक,आदर्श शिक्षक और महान विचारक को विनम्र श्रद्धांजलि ओम शांति...!!
उत्तरकाशी:- संजय रतूड़ी: देशभर में आज राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) का स्थापना दिवस उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। राजकीय इंटर कालेज नौगांव में इस अवसर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें परेड, सांस्कृत...