PM Modi in badri kedar, Uttarakhand | बद्री केदार के दर्शन करके धन्य हो गया : पीएम मोदी
21-10-2022 03:17 PM
केदारनाथ:-
मोदी ने किए केदारनाथ और बद्री नाथ के दर्शन, करीब 3400 करोड़ की विकास परियोजनाओं का किया शिलान्यास।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री केदारनाथ में रुद्राभिषेक किया।
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद 6वीं बार पहुंचे बाबा केदार के धाम।
प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ में श्रद्धालुओं को दी बड़ी सौगात।
गौरीकुंड से श्री केदारनाथ के लिए रोपवे की रखी आधारशिला।
रोपवे के बनने से बाबा केदार के दर्शन सुगमता से कर पायेंगे श्रद्धालु।
आदिगुरू शंकराचार्य की समाधि स्थली पर पहुंचकर प्रधानमंत्री ने किए दर्शन।
प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों में लगे श्रमजीवियों के साथ मुलाकात कर उनका हौंसला बढ़ाया।
मंदाकिनी आस्था पथ एवं सरस्वती आस्था पथ पर जाकर किया विकास कार्यों का निरीक्षण।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति की जानकारी दी।
राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ रहे मौजूद।
मोदी ने भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा में अपने सम्बोधन में कहा, अब से हर सीमावर्ती गांव को आखिरी नहीं पहला गांव माना जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री केदारनाथ धाम में रुद्राभिषेक कर सबकी सुख एवं समृद्धि की कामना की। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद 6वीं बार बाबा केदार के धाम पहुंचे। उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल पर पहुंचकर दर्शन किए। इस अवसर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए रोपवे का शिलान्यास किया। 1267 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 9.7 किमी. के इस रोपवे के बनने से श्रद्धालुओं को बाबा केदार के दर्शन के लिए सुगमता होगी। गौरीकुंड से श्री केदारनाथ पहुंचने में अभी श्रद्धालुओं को 6 से 7 घंटे लगते हैं, इस रोपवे के बन जाने से यह यात्रा सिर्फ आधा घंटे में पूरी हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके बाद मंदाकिनी आस्था पथ एवं सरस्वती आस्था पथ पर जाकर विकास कार्यों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री केदारनाथ में चल रहे विभिन्न पुनर्निर्माण एवं विकास कार्यों का जायजा भी लिया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने श्केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों में लगे श्रमजीवियों के साथ बैठकर उनसे मुलाकात की और उनका हौंसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने विशेष परिधान पहन रखा था, जो उन्हें हिमाचल की महिलाओं ने गिफ्ट किया था। इसे चोला-डोरा कहते हैं। पोशाक पर स्वास्तिक बना था। इसके बाद वे भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा का दौरा किया। केदारनाथ दर्शन के बाद मोदी ने 3400 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। रोपवे परियोजना का भी शिलान्यास किया। यह रोपवे 9.7 किलोमीटर लंबा होगा, जो गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा। अभी यह दूरी तय करने में करीब छह घंटे का समय लगता है। रोपवे बनने के बाद यह यात्रा 30 मिनट में पूरी हो सकेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा में अपने सम्बोधन में कहा, अब से हर सीमावर्ती गांव को आखिरी नहीं पहला गांव माना जाएगा। माणा से जुड़ी 25 साल पुरानी याद साझा करते हुए कहा, जब यहां मीटिंग रखी तो भाजपा कार्यकर्ता नाराज हो गए कि इतनी दूर कौन जाएगा और कैसे जाएगा। "मैंने लाल किले से कहा था, गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त हों। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि हमारे देश को इस मानसिकता ने ऐसा जकड़ा है कि प्रगति का हर कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। लंबे समय तक हमारे यहां आस्था घरों के विकास को लेकर नफरत का भाव रहा। विदेशों में ऐसे काम की तारीफ करते नहीं थकते थे। अपनी संस्कृति को लेकर उनमें हीन भावना, आस्था पर अविश्वास और विरासत से विद्वेश वजह थी।"
आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के निर्माण के वक्त क्या हुआ, सब जानते हैं। राम मंदिर के इतिहास से भी हम परिचित हैं। गुलामी की इस स्थिति ने हमारे आस्था घरों को जर्जर स्थिति में ला दिया था। सब कुछ तबाह करके रख दिया गया था। दशकों तक हमारे आध्यात्मिक केंद्रों की स्थिति ऐसी थी कि वहां की यात्रा सबसे कठिन यात्रा बन जाती थी। जहां जाना जीवन का सपना हो, लेकिन सरकारें ऐसी थीं कि अपने नागरिकों को वहां तक जाने की सुविधा देने की नहीं सोची। ये अन्याय था कि नहीं? आपका हां का जवाब आपका नहीं 130 करोड़ लोगों का है। इसलिए मुझे ईश्वर का काम सौंपा गया है। उन्होंने आगे कहा, बाबा के सान्निध्य में उनके आदेश से उनकी कृपा से पिछली बार जब आया था तो कुछ शब्द निकले थे। वो मेरे नहीं थे। कैसे आए, क्यों आए, किसने दिए पता नहीं। यूं ही मुंह से निकल गया था कि ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। पक्का विश्वास है कि इन शब्दों पर बाबा, बद्री विशाल और मां गंगा के आशीर्वाद की शक्ति बनी रहेगी।