श्रेय की छीना झपटी: अस्पताल के उच्चीकरण की स्वीकृति पर आंदोलनजीवियों की सांसें फिर फूल गईं।
07-11-2025 12:29 PM
साभार:- वरिष्ठ पत्रकार व स्वतंत्र विचारक आनंद नेगी की वाल से
दो वर्ष पहले मुख्यमंत्री धामी जी द्वारा पीएचसी पिलखी को 30 बेड के अस्पताल में उच्चीकृत करने की घोषणा अब धरातल पर उतर चुकी है। और क्षेत्र की जनता ने चैन की सांस ली लेकिन तभी आंदोलनजीवियों का रक्तचाप बढ़ गया। कहते हैं, “जब घोषणा हुई थी तब नारे हमने लगाये थे, और अब विधिवत स्वीकृति मिली तो श्रेय की होड़ लग गई।”
अब हालत यह है कि अस्पताल से ज़्यादा चर्चा उसकी डिलीवरी करवाने वालों की हो रही है। कहीं प्रेस कांफ्रेंस में फोटोबाजी तो कहीं सोशल मीडिया पर “हमारे संघर्ष की जीत” के हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कोई कहेगा कि नेताओ की अक्कल ठिकाने आ गयी, कोई कहेगा कि हमने आंदोलन किया, कोई कहेगा कि हमने पोस्ट डाली थी, कोई कहेगा कि हमने चक्का जाम किया, कोई कहेगा कि हमने मशाल जुलूश निकाला, कोई कहेगा कि हमने अस्पताल परिसर में धरना दिया तो कोई कहेगा कि हमने तो मुख्य बाजार में धरना देकर लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा करवाया आदि आदि।
पिलखी अस्पताल के उच्चीकरण की स्वीकृति के बाद राजनीतिक गलियारों में अब नया रोग फैला है।
श्रेय ज्वर
जिसे देखो वही दावा कर रहा है कि अस्पताल के उच्चीकरण की स्वीकृति उनकी बदौलत मिली कोई कहता है कि हमने सड़क जाम की थी तब तक
दूसरा बोल रहा है कि हमने तो मुख्यमंत्री मुर्दाबाद के नारे लगाये,
तीसरा तो और आगे निकल गया और बोला भाई हमने तो फेसबुक पर पोस्ट डाली थी, तभी सरकार जागी।
आखिर में गाँव वालों ने थक हारकर कहा किअस्पताल जनता के लिए बन रहा है या आंदोलनजीवियों के फोटोशूट के लिए?
मौत से मुद्दा, मुद्दे से मौका
कहने को आंदोलन स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के खिलाफ था पर असल मकसद था माइक के पास पहुंचना और कैमरे में आना। खास बात ये है कि जिन मौतों को उन्होंने आंदोलन का आधार बनाया था वही घटना अब उनके 2027 चुनावी पोस्टर का भावनात्मक बैकग्राउंड बनेंगी।
साथ ही यह भी कहेंगे कि 2027 में हमको वोट देना ताकि हर मौत का बदला हम सरकार में आने के बाद ले सकें और फिर मामला होगा टाँय टाँय फिस्स। अस्पताल तो उच्चीकरण होगा ही पर इन स्वार्थी आन्दोलनजीवियों की राजनीति ICU में रहेगी।
हिंदाव क्षेत्र के एक बुजुर्गों ताऊ जी ने तंज कसा कि अरे भाई, अब अस्पताल उच्चीकरण की स्वीकृति के बाद तो बन ही जायेगा और मरीजों का इलाज भी होगा।लेकिन इन आंदोलनजीवियों का इलाज कौन करेगा?
अब जनता भी चाहती है कि सरकार सीएचसी पिलखी अस्पताल में एक नया वार्ड बनाए जिसका नाम हो *श्रेय वार्ड* जहाँ हर आंदोलनजीवी जाकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का इलाज कर सके।
मेरे लेख का अंतिम सार यह होगा कि पीएचसी पिलखी अस्पताल के उच्चीकरण का निर्माण पूरा होने पर राजनीति की बीमार मानसिकता वहीं भर्ती रहे।
फिलहाल जनता दुआ कर रही है कि हे ईश्वर, अब अगला आंदोलन किसी की मौत से नहीं बल्कि किसी की समझ से शुरू हो।